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कविता

पूरन प्रेम को मंत्र महा पन

घनानंद


पूरन प्रेम को मंत्र महा पन, जा मधि सोधि सुधारि है लेख्यौ।
ताही के चारु चरित्र बिचित्रनि यौं पचि कै राचि राखि बिसेख्यौ
ऐसो हियो-हित-पत्र पवित्र जु आनअ-कथा न कहूँ अवरेख्यौ।
सो घनआनंद जान, अजान लौं टूक कियो पर बाँचि न देख्यौ।।


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